ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हुए बाबा केदार
रुद्रप्रयाग। भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक केदारनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ विराजमान हो गए हैं। वैदिक मंत्रोच्चार एवं पूजा-अर्चना के साथ बाबा केदार की भोगमूर्तियों को मंदिर के गर्भगृह में शीतकाल की पूजा-अर्चना के लिए स्थापित कर दिया गया है। इस पावन दृश्य के सैकड़ों श्रद्धालु साक्षी बने, साथ ही पूरा क्षेत्र बाबा के जयकारों से गूंज उठा। प्रात: 9 बजे भगवान केदारनाथ की चल उत्सवह विग्रह डोली ने विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान किया। भैंसारी गांव होते हुए होते हुए बाबा केदार की डोली पूर्वान्ह 11 बजे विद्यापीठ पहुंची। जहां पर राजकीय महाविद्यालय व आयुर्वेदिक कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने डोली का भव्य स्वागत किया गया। यहां से डोली जैयवीरी पहुंची, जहां पर अरूण महाराज एवं चुन्नी गांव के ग्रामीणों ने भगवान केदारनाथ का फूल-मालाओं से स्वागत किया। इस अवसर पर ग्रामीणों ने अपने आराध्य को सामूहिक अर्ध्य भी लगाया। यहां से देवदर्शनी होते हुए बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली दोपहर 12.15 बजे पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंची। मंदिर परिसर में मौजूद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने डोली की अगवानी करते हुए पुष्प व अक्षत से बाबा केदार का स्वागत कर घर-परिवार की सुख-समृद्धि की मनौति मांगी। इस मौके पर पूरा ऊखीमठ क्षेत्र बाबा के जयकारों से गूंज उठा। चल उत्सव डोली के ओंकारेश्वर मंदिर की परिक्रमा के बाद पुजारी शिव शंकर लिंग ने डोली की आरती उतारी। इसके बाद डोली को परंपरानुसार पंचकेदार गद्दीस्थल में विराजमान किया गया। जहां पर रावल भीमाशंकर लिंग धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करते हुए स्वर्ण मुकुट धारण किया। साथ ही केदारनाथ में पुजारी रहे शिव लिंग ने रावल को भोगमूर्ति व नागताला सौंपा। मंदिर के वेदपाठियों ने वेद मंत्रोच्चारण के साथ भगवान केदारनाथ की भोग मूर्तियों को छह माह की शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया। इस मौके पर रविग्राम के पंथेर पुजारी द्वारा केदारनाथ से लाया गया उदक जल और भष्म भक्तों को प्रसाद रूप में वितरित की गई।