जल की आवश्यकता अनुसार उपलब्धता रखना जरूरी
रुड़की। आईआईटी रुड़की में जल संसाधनों के भविष्य को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें देश-विदेश के वैज्ञानिकों ने भाग लिया तथा इन वैज्ञानिकों ने भविष्य में जल की आवश्यकता को देखते हुए जल के उचित प्रबंधन एवं सिंचाई के लिए प्रयोग होने वाले जल को वैज्ञानिक तरीके से इस्तेमाल करने व सिंचाई के जल को व्यर्थ होने से रोकने के लिए किसानों को जागरूक करने पर जोर दिया ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस की सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर वीपी सिंह ने कहा की जल की होने वाली कमी को दूर करने के लिए तकनीकी एवं गैर तकनीकी माध्यमों का इस्तेमाल कर जल की आवश्यकता अनुसार उपलब्धता बनाए रखना जरूरी है । प्रोफेसर वीपी सिंह ने कहा की हमारे देश में अभी भी भूजल की कमी नहीं है परंतु उचित प्रबंधन के अभाव में जल का रिचार्ज उसे गति से नहीं हो पाता जितनी की आवश्यकता है उन्होंने कहा कि हमारा 80% के आसपास जल खेती व सिंचाई में प्रयोग होता है यदि इसमें वैज्ञानिक तरीके और मौसम की सही जानकारी के आधार पर खेती की जाए तो खेती पर एवं सिंचाई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जल की बचत की जा सकती है जिससे जल को अन्य उपयोग में लाया जा सकता है उन्होंने कहा कि जिस तरह से आबादी बढ़ रही है उसे धीरे-धीरे जल की उपलब्धता कम हो रही है जिसको पूरा करने के लिए भूजल के उपयोग एवं इसके रिचार्ज में संतुलन बनाना होगा । इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य संयोजक प्रोफेसर आशीष पांडे का कहना है कि जिस तरह से आबादी बढ़ रही है उससे पानी की उपलब्धता कम हो रही है अतः भविष्य में जल के उचित प्रबंधन को कैसे बनाए रखा जाए और पीने के पानी व सिंचाई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जल का केसे प्रबंधन किया जाए और उसकी सही उपयोगिता बनाए रखी जाए इसके लिए यह सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण है l देश भर के वैज्ञानिक इस पर चिंतन कर रहे हैं कि भविष्य में होने वाली जल की कमी को किस तरह से पूरा किया जाए ताकि बढ़ती आबादी के साथ जल की उपलब्धता एवं इसका संतुलन बनाए रखा जा सके ।