देश-विदेश

माता-पिता और मातृभूमि की सेवा को न भूलें छात्र

भुवनेश्वर। कलिंग इंस्टीट्यूट आफ सोशियल साइंसेस, कीस डीम्ड विश्वविद्यालय ने तीसरा दीक्षांत समारोह मनाया। लगभग 302 से अधिक छात्र-छात्राओं को स्नातकोत्तर और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। समारोह में मुख्य अतिथि ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास ने  देश की उन्नति और विकास में जनजातीय छात्रों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत को विकसित देश बनाना है तो आदिवासियों का विकास जरूरी है। उन्होंने जनजातीय सशक्तिकरण के लिए कीट और कीस के संस्थापक डॉ अच्युत सामंत के योगदानों की प्रशंसा की। राज्यपाल ने कहा कि हमारे गृह राज्य झारखंड के हजारों आदिवासी छात्र इस शैक्षिक संस्थान के जरिए अपने सपने को साकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह आदिवासी समुदायों के लिए भी गर्व की बात है कि आजादी के 75 साल बाद भारत के पास द्रौपदी मुर्मु के रूप में एक आदिवासी नेता देश की राष्ट्रपति हैं। डा. सामंत ने समारोह में अतिथियों और स्नातक छात्रों के माता-पिता के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन भी इस समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश के अध्यक्ष और आध्यात्मिक प्रमुख परम पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती और सिंगापुर के मौद्रिक प्राधिकरण के मुख्य फिनटेक अधिकारी व एलेवेंडी बोर्ड के अध्यक्ष शोपनेन्दु महंती आदि को मानद डी.लिट की डिग्री प्रदान की गई। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्व भूषण हरिचन्दन ने कीट और कीस की स्थापना के लिए डा. सामंत के धैर्य और दृढ़ संकल्प की सराहना की और छात्रों से यह निवेदन किया कि वे अपने पेशेवर जीवन को आगे बढ़ाते हुए अपने माता-पिता और मातृभूमि की सेवा को नहीं भूलें। उन्होंने कहा कि पढ़ लिखकर कीस के छात्र चाहे भारत में रहें या विदेश में अपनी मातृभूमि को सदैव याद रखें। जी-20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कीट और कीस को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संस्थान बताया। गौरतलब है कि कीस एक ऐसा अनुष्ठान है जहां आदिवासी बच्चों को मुफ्त में केजी से पीजी तक शिक्षा प्रदान की जाती है। उन्होंने डिजिटल क्रांति सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए आर्थिक विकास की एक श्रृंखला को सूचीबद्ध किया और कहा कि भारत 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। शोपनेन्दु महंती ने अपने अनुभव को साझा किया और भविष्य में कीस के छात्रों के कोच बनने की बात कही ।आध्यात्मिक गुरु चिदानंद सरस्वती ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से जनजातीय समाज के विकास के लिए जो प्रयास डा. सामंत कर रहे हैं, वह प्रशंसनीय है। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जिस तरह से राज्य को समृद्धि के रास्ते पर ले जा रहे हैं, ठीक उसी तरह डा. सामंत भी लाखों आदिवासी छात्रों को उनके सपनों को पूरा करने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संस्थापक का स्वर्ण पदक पाने वाले 15 छात्रों में से 11 लड़कियां हैं और जिन छात्रों ने आज पदक जीता , वे कल समाज के आदर्श बनेंगे। समारोह में सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि पा चुके भारतीय संगीतकार और तीन बार के ग्रैमी पुरस्कार विजेता डॉ. रिकी जी. केज ने छात्रों से जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को संबोधित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सार्थक बदलाव तभी हो सकता है जब व्यक्ति दूसरों की प्रतीक्षा करने के बजाय खुद को बदले और अपनी जिम्मेदारियों को समझे। कीस डीम्ड विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सत्य एस त्रिपाठी, कुलपति प्रोफेसर दीपक कुमार बेहरा और कुलसचिव डा पी के राउतराय ने भी अपने अपने विचार रखे। दीक्षांत समारोह में कीट -कीस की अध्यक्षा शाश्वती बल, उपाध्यक्ष उमापद बोस और विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारीगण मौके पर उपस्थित थे।

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