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बन्द हुए मदमहेश्वर के कपाट

रुद्रप्रयाग। पंच केदारों में प्रसिद्ध द्वितीय केदार मदमहेश्वर के कपाट  8 बजकर 30 मिनट पर पूरे विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस दौरान सात सौ से अधिक तीर्थयात्री  कपाट बंद होने के साक्षी बने। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने भगवान मदमहेश्वर के कपाट बंद होने पर कहा कि मदमहेश्वर यात्रा को सुगम बनाने के लिए मंदिर समिति प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि द्वितीय केदार मदमहेश्वर के कपाट बंद होने के साथ ही इस यात्रा वर्ष 2023 का समापन हो गया है। मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिह ने बताया कि मदमहेश्वर मंदिर के कपाट बंद होने व चलविग्रह डोली के प्रस्थान तैयारियों हेतु निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि कपाट बंद की तैयिरियों के बीच आज प्रातः 4 बजे मदमहेश्वर मंदिर खुला व भगवान मदमहेश्वर की अभिषेक जलाभिषेक पूजा हुई। 7 बजकर 30 मिनट तक श्रद्धालु दर्शन करते रहे। उसके पश्चात् पुजारी बागेश लिंग ने कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू की। भगवान शिव एवं भैरवनाथ, की पूजा-अर्चना हुई। भगवान मदमहेश्वर के स्यंभू शिवलिंग को समाधि देकर  फूलों-शुष्क पुष्पों राख से ढक दिया गया। इसके बाद मदमहेश्वर की चलविग्रह डोली के सभा मंडप से बाहर आते ही मदमहेश्वर मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।  कपाट बंद होने के बाद मंदिर की परिक्रमा करते हुए मदहेश्वर की चल विग्रह डोली प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान हुई। वही इस यात्रा वर्ष 12 हजार सात सौ 77 श्रद्धालु भगवान मदमहेश्वर दर्शन को पहुंचे हैं। मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल ने कहा कि मदमहेश्वर भगवान की चलविग्रह डोली के 25 नवंबर को ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचने पर मंदिर समिति व स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा स्वागत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मदमहेश्वर  की चल विग्रह डोली आज  गौंडार गांव पहुंची। 23 नवंबर को डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी। डोली 24  को गिरिया, 25 नवंबर को चल विग्रह डोली पंच केदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी । इसके साथ मदमहेश्वर की शीतकालीन पूजाएं शुरु होगी।

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