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राज्य के भूजल में गिरावट चिंतनीय

नैनीताल ।  राज्यपाल/कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने  कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल के डीएसबी परिसर में निदेशकों और संकायाध्यक्षों से अलग-अलग वार्ता कर सभी संकायों में हो रहे अकादमिक एवं प्रशासनिक कार्यों की समीक्षा की गई। इस दौरान सभी निदेशकों एवं संकायाध्यक्षों ने अपने-अपने संकायों में किए जा रहे शोध, नवाचारों, और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिए। साथ ही उन्होंने अपने विभागों में हो रहे महत्वपूर्ण कार्यों, परियोजनाओं और भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी दी। राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में भूजल के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। विश्वविद्यालय भूजल स्तर को बढ़ाने के उपाय खोजें। विश्वविद्यालय उत्तराखंड के पारंपरिक जल स्रोतों, नौलों को बचाने के भी वैज्ञानिक समाधान ढूंढे। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय टूरिस्ट एवं ट्रैफिक मैनेजमेंट पर भी शोध करें और इस चुनौती हेतु अपने ठोस सुझाव दें जिससे पर्यटन और ट्रैफिक का सही से प्रबंधन किया जा सके। राज्यपाल ने कहा कि कुमाऊं का क्षेत्र अध्यात्म, साहित्य और संस्कृति के लिए पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान रखता है। विश्वविद्यालय यहां के अध्यात्म, साहित्य और संस्कृति एवं मानसखंड के ऐतिहासिक महत्व और भविष्य की संभावनाओं हेतु भी शोध करे। बैठक में राज्यपाल द्वारा नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के साथ-साथ नए विचारों और तकनीकों को अपनाने के लिए संकायाध्यक्षों को भी प्रेरित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय अधिक से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्ट शोध पत्र प्रकाशित करने चाहिए। सभी संकायाध्यक्ष को आर्थिक संसाधनों के स्रोत स्वयं खोजने चाहिए ताकि उन्हें विश्वविद्यालय पर निर्भर न रहना पड़े। आपके द्वारा केंद्रीय संस्थानों और सीएसआर की मदद से आर्थिक संसाधनों की पूर्ति के भी प्रयास किए जाएं। राज्यपाल ने कहा कि कुमाऊं विश्वविद्यालय में हो रहे शोध और नवाचार कार्य सराहनीय हैं। उन्होंने टीम भावना से विश्वविद्यालय की कई उपलब्धियों के लिए कुलपति सहित पूरे विश्वविद्यालय प्रशासन की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन और संकायों के प्रयासों से ही यह संभव हो पाया है। राज्यपाल ने कहा कि हमें शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए सतत प्रयासरत रहना होगया।  इससे पहले, राज्यपाल ने डीएसबी परिसर स्थित 1987 में स्थापित हिमालयन संग्रहालय का भी निरीक्षण किया। इस संग्रहालय में पौराणिक इतिहास से लेकर स्वाधीनता संग्राम में उत्तराखंड के योगदान को बयां करने वाले ताम्र पत्रों, दस्तावेजों, छायाचित्रों, सिक्कों व दुर्लभ मूर्तियों का संग्रह किया गया है। संग्रहालय में रखे गए विभिन्न प्रदर्शनों और संग्रहित वस्तुओं को देखकर राज्यपाल ने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने संग्रहालय के विकास और संरक्षण के लिए आवश्यक सुझाव भी दिए। राज्यपाल ने एक्सपर्ट कमेटी के सुझाव के आधार पर इसे प्रधानमंत्री संग्रहालय की तर्ज पर आधुनिक रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यहां पर रखी चीजें ऐतिहासिक महत्व की है जिनका संरक्षण किया जाना जरूरी है। उन्होंने पर्यटन की दृष्टि से इस संग्रहालय को और अधिक आधुनिक बनाने का सुझाव दिया।

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